नित्यानंद और कैलासा: एक फर्जी देश की सच्ची कहानी

नित्यानंद और कैलासा की कहानी सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा। एक स्वयंभू हिन्दू गुरु जिसने आध्यात्मिकता के नाम पर लोगों को भ्रमित किया, और फिर भारत से फरार होकर खुद का देश घोषित कर दिया — वो भी ऑनलाइन दस्तावेज़ों, नकली पासपोर्ट, और डिजिटल प्रचार के दम पर।

यह लेख आपको बताएगा नित्यानंद और उसके बनाए “देश” कैलासा की पूरी सच्चाई, जिससे आप समझ पाएंगे कि कैसे आस्था का खेल लोगों के विश्वास को नुकसान पहुंचाता है।

नित्यानंद और कैलासा की शुरुआत: बचपन से विवादों तक

नित्यानंद और कैलासा की शुरुआत तब हुई जब अरुणाचलम राजशेखरन नाम के एक तमिल लड़के ने खुद को भगवान का अवतार बताया।

जन्म: 1978, तमिलनाडु

दावा: 10 वर्ष की उम्र में दिव्य अनुभव

आश्रम की शुरुआत: 2000

फॉलोअर्स: सोशल मीडिया पर चमत्कारी दावों से बढ़ती प्रसिद्धि

उन्होंने दावा किया कि वो कैंसर जैसी बीमारी ठीक कर सकते हैं, और “तीसरी आंख” खोल सकते हैं। लेकिन 2010 में एक वीडियो लीक हुआ जिसमें वह एक अभिनेत्री के साथ आपत्तिजनक अवस्था में दिखे। इसके बाद उनके खिलाफ रेप, बच्चों पर अत्याचार, और एक महिला की रहस्यमयी मौत जैसे गंभीर आरोप लगे।

नित्यानंद और कैलासा: भारत से भागकर देश की घोषणा

2019 में जब उनके खिलाफ केस बढ़ने लगे, तो नित्यानंद भारत से भाग गए। फिर उन्होंने खुद को भगवान शिव बताते हुए दिसंबर 2019 में “यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा” नामक एक नया देश घोषित कर दिया।

दावा: एक नया हिन्दू राष्ट्र

लोकेशन: कथित रूप से इक्वाडोर के पास द्वीप (जिसे इक्वाडोर ने खारिज किया)

उद्देश्य: “सनातन धर्म की रक्षा”

नित्यानंद और कैलासा का डिजिटल देश: नकली पासपोर्ट से डिजिटल यूनिवर्सिटी तक

नित्यानंद और कैलासा ने एक फर्जी ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया जिसमें था:

कैलासा का संविधान

पासपोर्ट और करेंसी (कैलासियन डॉलर)

नित्यानंद टाइम्स नामक अखबार

टीवी चैनल, यूनिवर्सिटी और रिज़र्व बैंक

यह सब दिखाने के लिए था कि यह एक असली देश है। उन्होंने 12 लाख से ज्यादा लोगों को “ई-सिटीजनशिप” देने का दावा भी किया।

नित्यानंद और कैलासा की अंतरराष्ट्रीय चालबाजियाँ

नित्यानंद और कैलासा ने दुनियाभर में मान्यता पाने के लिए धोखाधड़ी की:

2023: UN मीटिंग में प्रतिनिधि विजयप्रिया की एंट्री

UK हाउस ऑफ लॉर्ड्स के इवेंट ब्रोशर में प्रचार

न्यू जर्सी (अमेरिका) और पैराग्वे के अधिकारियों के साथ फर्जी समझौते

2024: बोलिविया के अमेज़न जंगल में 1000 वर्षों के लिए ज़मीन लीज़ पर लेने की कोशिश, जो बाद में मीडिया द्वारा उजागर हुई और 20 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई

नित्यानंद और कैलासा: एलियन, तीसरी आंख और ‘कॉस्मिक एयरपोर्ट’

नित्यानंद के बेतुके और चौंकाने वाले दावों में शामिल हैं:

पृथ्वी के अंदर एलियन सभ्यता

300 करोड़ लोगों को “शक्तियाँ” देना

‘कॉस्मिक एयरपोर्ट’ बनाना ताकि एलियन उतर सकें

यह सब दिखाता है कि किस हद तक उन्होंने अपनी छवि को “दैवीय अवतार” के रूप में बनाए रखा है।

नित्यानंद और कैलासा की सच्चाई: एक धोखा, एक चेतावनी

नित्यानंद और कैलासा न तो कोई देश हैं, न कोई आध्यात्मिक आंदोलन। यह एक डिजिटल स्कैम है जो लोगों की भावनाओं और आस्था के साथ खिलवाड़ करता है।

जून 2025 तक नित्यानंद का कोई ठिकाना नहीं पता चला है, लेकिन वह अब भी वीडियो जारी कर रहे हैं और खुद को भगवान साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।

निष्कर्ष: नित्यानंद और कैलासा से क्या सीखें?

आंख बंद कर किसी पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है

डिजिटल दुनिया में फर्जी राष्ट्र भी बनाए जा सकते हैं

कानून और तंत्र को ऐसे मामलों में और सख्त होना चाहिए

नित्यानंद और कैलासा की कहानी केवल एक धोखेबाज़ गुरु की नहीं, बल्कि हमारी समाजिक चेतना की भी परीक्षा है।

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