6 दिसंबर को मनाया गया डॉ बीआर अंबेडकर का 67वां महापरिनिर्वाण दिवस

भारतीय संविधान के जनक कहे जाने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर एक बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। 6 दिसंबर 1956 को संविधान के जनक पंचतत्वों में विलीन हो गए थे। डॉ अंबेडकर की डेथ एनिवर्सरी को महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

देश भर में 14 अप्रैल, 2023 को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई गई। उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य प्रदेश के मह में हुआ था। उनके पिता सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल पढ़े-लिखे व्यक्ति और संत कबीर के अनुयायी थे।

महापरिनिर्वाण एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है मुक्ति। बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांतों और लक्ष्यों में से एक है। इसका मतलब ‘मौत के बाद निर्वाण’ है। अंबेडकर ने हमेशा ही दलितों की स्थिति में सुधार लाने के लिए काम किया।

छुआछूत जैसी कुप्रथा को खत्म करने में भी उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। न्यूयॉर्क में कोलंबिया विश्वविद्यालय एवं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले बाबा साहेब पहले भारतीय थे। जब वह 1926 में भारत आए तब उन्हें मुंबई की विधानसभा का सदस्य चुना गया।

 वह आजाद देश के पहले कानून मंत्री बने। उन्होंने मार्च 1927 में महाड सत्याग्रह का भी नेतृत्त्व किया। उन्होंने तीनों गोलमेज़ सम्मेलनों में भाग लिया। वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये जिसमें दलित वर्गों (कम्युनल अवार्ड) हेतु अलग निर्वाचक मंडल के विचार को त्याग दिया गया।

वर्ष 1936 में उन्होंने दलित वर्गों के हितों की रक्षा हेतु इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी का गठन किया। वर्ष 1942 में डॉ. अंबेडकर को भारत के गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में श्रम सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और वर्ष 1946 में बंगाल से संविधान सभा हेतु चुना गया।

 साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। 6 दिसंबर 1956 को डायबिटिज से पीड़ित होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

प्रसिद्ध पुस्तकें

जाति का उन्मूलन, रुपये की समस्याः इसकी उत्पत्ति और इसका समाधान, भाषाई राज्यों पर विचार, बुद्ध और उनका धम्म, अछूत: वे कौन थे और वे अछूत क्यों बने?।

प्रमुख संगठन:

बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)

इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (1936)

अनुसूचित जाति संघ (1942)

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