डॉ. अक्षता कृष्णमूर्ति मंगल ग्रह पर रोवर मिशन की कमान संभालने वाली ‘पहली भारतीय नागरिक’ बनीं। उन्होंने अब एमआईटी में प्रवेश और नासा में नौकरी पाने की अपनी प्रेरक यात्रा को इंस्टाग्राम पर साझा किया है।
डॉ. कृष्णमूर्ति ने बताया कि वह 13 साल पहले नासा में काम करने का सपना लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका आई थीं और अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। पर्सीवरेंस एक मार्स रोवर है जिसे जुलाई 2020 में केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन, फ्लोरिडा, यूएसए से लॉन्च किया गया जिसमें छोटा रोबोट और समाक्षीय (Coaxial) हेलीकॉप्टर इनजेन्युटी (उपनाम गिन्नी) भी शामिल है।
इसने मंगल पर लैंडिंग फरवरी 2021 को जेजेरो क्रेटर में की थी। पर्सिवरेंस अत्यधिक उन्नत, महँगी और परिष्कृत चलायमान प्रयोगशाला है। नासा द्वारा क्रेटर के भीतर लैंडिंग साइट का नाम ऑक्टेविया ई. बटलर लैंडिंग रखा गया है।
इसमें एक बहु-मिशन रेडियोआइसोटोप धर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर है जो प्लूटोनियम (प्लूटोनियम डाइऑक्साइड) के प्राकृतिक रेडियोधर्मी क्षय से गर्मी को बिजली में परिवर्तित कर देता है।
पर्सिवरेंस का प्राथमिक उद्देश्य प्राचीन सूक्ष्मजीवों के जीवन के संकेतों की तलाश करना है। पर्सिवरेंस रोवर लाल ग्रह के रेजोलिथ, चट्टान और धूल का अध्ययन व विश्लेषण कर रहा है, यह गुप्त रूप से छुपे हुए नमूने एकत्र करने वाला पहला रोवर है।
अप्रैल 2021 में, NASA ने बताया कि मंगल ग्रह के वायुमंडल से कुछ कार्बन डाइऑक्साइड को सफलतापूर्वक ऑक्सीजन में परिवर्तित कर दिया है।