UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Hindi : Free मैं फ्री में

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes : शुरुआत में विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की नोट्स बनाने में बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ता है इसलिए हमारे टीम ने मिलकर इस UPSC NCERT Class 6th Geography Notes को बनाया है परीक्षा के प्वाइंट व्यू से एकदम टू द पॉइंट है।

सामाजिक विज्ञान-पृथ्वी: हमारा आवास

1.सौरमंडल में पृथ्वी
2.ग्लोब : अक्षांश और देशांतर
3.पृथ्वी की गतियाँ
4.मानचित्र
5.पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल
6.पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप
7.हमारा देश : भारत
8.भारत : जलवायु, वनस्पति तथा वन्य प्राणी

Table of Contents

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter -1 सौरमंडल में पृथ्वी

  •  सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, उल्का पिंड तथा वे सभी वस्तुएँ जो रात के समय आसमान में चमकती हैं, ‘खगोलीय पिंड’ कहलाती हैं।
  •  कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं। ये गैसों से बने होते हैं। इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, जिसको वे बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं। इन खगोलीय पिंडों को ‘तारा’ कहते हैं। सूर्य भी एक तारा है।
  •  रात्रि में आसमान की ओर देखते समय तारों के विभिन्न समूहों के द्वारा बनाई गई आकृतियाँ दिखाई देती हैं, इन्हें ‘नक्षत्रमंडल’ कहते हैं।
  • अर्सा मेजर’ या ‘बिग बीयर’ एक प्रकार का नक्षत्रमंडल है। स्मॉल बीयर या सप्तऋषि (सात तारों का समूह) बहुत आसानी से पहचान में आने वाला नक्षत्रमंडल है। यह एक बड़े नक्षत्रमंडल अर्सा मेजर के भाग है।
  • कुछ खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती है। वे तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। ऐसे पिंड ‘ग्रह’ कहलाते हैं। ग्रहजिसे अंग्रेजी में (प्लेनेट) (Planet) कहते हैं, ग्रीक भाषा के प्लेनेटाई (Planetai) से बना है, जिसका अर्थ होता है- परिभ्रमक अर्थात् चारों और घूमने वाले।
  • पृथ्वी, जिस पर हम रहते हैं एक ग्रह है। यह अपना संपूर्ण प्रकाश एवं ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है, जो कि पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है। पृथ्वी को बहुत अधिक दूरी से, जैसे चंद्रमा से देखने पर यह चंद्रमा की तरह चमकती हुई प्रतीत होगी। सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है तथा आकार में पाँचवा सबसे बड़ा ग्रह हैं।
  • सूर्य से बढ़ती दूरी के हिसाब से ग्रहों का सही क्रमः बुध- शुक्र पृथ्वी-मंगल- बृहस्पति-शनि- यूरेनस (अरुण)- नेपच्यून (वरुण) ।
  • वे ग्रह जो सूर्य के नजदीक हैं एवं चट्टानों से बने हैं ‘आंतरिक ग्रह’ कहलाते हैं। बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल आंतरिक ग्रहों के अंतर्गत आते हैं।.
  •  बाह्य ग्रह सूर्य से बहुत दूर हैं तथा बहुत बड़े आकार के हैं। ये गैस और तरल पदार्थों से बने हैं। बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून बाह्य ग्रह हैं।
  •  बुध सौरमंडल में सूर्य के सबसे नज़दीक का ग्रह है। इसी कारण  इसका सूर्य के चारों ओर परिक्रमण काल सबसे कम यानी 88 दिन है।
  •  तारों, ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त, असंख्य छोटे पिंड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन पिंडों को ‘क्षुद्र ग्रह’ कहते हैं। ये मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच पाये जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार क्षुद्र ग्रह, ग्रह के ही भाग होते हैं, जो वर्षों पहले विस्फोट के बाद ग्रहों से टूटकर अलग हो गए।
  •  सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों की स्थिति है : बुध-शुक्र -पृथ्वी – मंगल बृहस्पति – शनि यूरेनस – नेप्च्यून । 
  • वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने अपनी बैठक में यह निर्णय लिया कि प्लूटो, सिरस व 2003 UB313 जैसे खगोलीय पिंडों को बौने, ग्रह की श्रेणी में रखा जा सकता है।
  • पृथ्वी ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है। यही कारण है कि इसके आकार को ‘भूआभ’ (Geoid) कहा जाता है। ‘भूआभ’ का अर्थ है- पृथ्वी के समान आकार। जीवन के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ संभवतः केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती हैं। पृथ्वी न तो अधिक गर्म है और न ही अधिक ठंडी। यहाँ जल एवं वायु की उपस्थिति है, जो जीवन के लिये आवश्यक है।
  • अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है. क्योंकि पृथ्वी की दो-तिहाई सतह जल से ढकी हुई है, इसलिये इसे ‘नीला ग्रह’ कहा जाता है।
  • सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे- क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं। उसे हम ‘सौर परिवार’ का नाम देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है।
  • सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गैसों से बना है। इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बांधे रखता है। सूर्य सौरमंडल के लिये प्रकाश एवं ऊष्मा का मुख्य (Ultimate) स्रोत है। हम सूर्य की अत्यधिक तेज़ ऊष्मा को महसूस नहीं करते, क्योंकि यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद हमसे लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। इसी कारण सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुँचने में लगभग 8 मिनट लगते हैं।
  • सौरमंडल के सभी आठ ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं। ये रास्ते दीर्घवृत्ताकार रूप में फैले हुए हैं, ये ‘कक्षा’ कहलाते हैं।
  • शुक्र को पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह मानते हैं, क्योंकि यह आकार, घनत्व एवं व्यास में पृथ्वी के लगभग बराबर है।
  • पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह ‘शुक्र’ है। 
  • हमारे सौरमंडल के ग्रहों में बृहस्पति सबसे बड़ा तथा बुध सबसे छोटा है।
  • शुक्र और यूरेनस की परिक्रमण की दिशा अन्य ग्रहों से विपरीत.. होती है। शुक्र और यूरेनस घडी की सुई की दिशा में (Clockwise) घूमते हैं, जबकि अन्य ग्रह घड़ी की सुई के विपरीत दिशा (Anti Clockwise) में घूमते हैं।
  • पृथ्वी से इन छल्लों को शक्तिशाली दूरबीन की सहायता से देखा जा सकता है।
  • हमारे सौरमंडल में बुध एवं शुक्र के पास कोई चंद्रमा (प्राकृतिक उपग्रह) नहीं है।
शनि के चंद्रमा की संख्या =82
बृहस्पति के चंद्रमा की संख्या =79
मंगल के चंद्रमा की संख्या =2
यूरेनस के चंद्रमा की संख्या =27
  • उपग्रह को अंग्रेज़ी में ‘सैटेलाइट’ कहते हैं, जिसका अर्थ होता है- साथी या सहचर। ये उपग्रह अपने ग्रहों की परिक्रमा करने के साथ-साथ सूर्य की भी परिक्रमा करते हैं।
  • हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है- चंद्रमा। इसका व्यास, पृथ्वी के व्यास का केवल एक चौथाई (वाँ) है। यह इतना बड़ा इसलिये प्रतीत होता है, क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नज़दीक है।
  • खगोलीय पिंडों एवं उनकी गति के संबंध में अध्ययन करने वालों को खगोलशास्त्री कहते हैं। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे।
  • चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिनों में पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है। अत: चंद्रमा के द्वारा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में लगने वाला समय अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगने वाले समय के बराबर ही होता है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हमें चंद्रमा का केवल एक ही भाग दिखाई देता है।
  • नील आर्मस्ट्रॉन्ग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 20 जुलाई, 1969 को सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखा। (स्रोत: NASA की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार; जबकि NCERT कक्षा VI की पाठ्य पुस्तक के अनुसार 21 जुलाई, 1969)
  • सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों ‘को ‘उल्का पिंड’ कहते हैं।
  • खुले आकाश में एक छोर से दूसरे छोर तक फैली चौड़ी सफेद पट्टी. जोकि एक चमकदार रास्ते की तरह दिखती है यह लाखों तारों का समूह है। यह पट्टी आकाशगंगा है। हमारा सौरमंडल आकाशगंगा का ही एक भाग है। प्राचीन भारत में इसकी कल्पना आकाश में प्रकाश की एक बहती नदी से की गई थी। इस प्रकार इसका नाम आकाशगंगा पड़ा। लाखों आकाशगंगाएँ मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करती हैं।
class 6th Ncert Geography in hindi by ANIRUDH MALIK

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter –2 ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर

विषुवत् वृत्त के संदर्भ में

  • विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण की कोणीय दूरी की माप को अक्षांश कहते हैं। इसे विषुवत् वृत्त से दोनों ध्रुवों की ओर अंशों में मापा जाता है।
  • विषुवत् वृत्त से ध्रुवों तक स्थित सभी समानांतर वृत्तों को ‘अक्षांश वृत्त’ कहा जाता है। विषुवत् वृत्त एक काल्पनिक वृत्त है, जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटता है
  • विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर अक्षांशों का आकार घटता जाता है।

विषुवत् वृत्त (0°), उत्तर ध्रुव (90° उत्तर), दक्षिण ध्रुव (90° दक्षिण) के अतिरिक्त चार महत्त्वपूर्ण अक्षांश रेखाएँ और भी हैं- 

  1.  उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा (23½° उत्तर)
  2.  दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा (23½° दक्षिण) 
  3.  विषुवत् वृत्त के 66½° उत्तर में उत्तर ध्रुव वृत्त (आर्कटिक वृत्त)
  4.  विषुवत् वृत्त के 66%° दक्षिण में दक्षिण ध्रुव वृत्त (अंटार्कटिक वृत्त)

• कर्क रेखा एवं मकर रेखा के बीच सभी अक्षांशों पर सूर्य वर्ष में एक बार दोपहर में सिर के ठीक ऊपर होता है। इसलिये इस क्षेत्र में सबसे अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है तथा इसे ‘उष्ण कटिबंध’ कहा जाता है।

ध्रुव की तरफ सूर्य की किरणें तिरछी होती जाती हैं। इस प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा एवं उत्तर ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा एवं दक्षिण ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र का तापमान मध्यम रहता है। इसलिये इन्हें ‘शीतोष्ण कटिबंध’ कहा जाता है।

उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर ध्रुव वृत्त एवं उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण ध्रुव वृत्त एवं दक्षिणी ध्रुव के बीच के क्षेत्र में बहुत ठंड होती है, क्योंकि यहाँ सूर्य क्षितिज से ज्यादा ऊपर नहीं आ पाता है। इसलिये ये ‘शीत कटिबंध’ कहलाते हैं।

• जैसे-जैसे हम विषुवत् वृत्त से दूर जाते हैं, अक्षांश रेखाओं का आकार घटता जाता है। इस प्रकार विषुवत् वृत्त के उत्तर की सभी समानांतर रेखाओं को ‘उत्तरी अक्षांश’ कहा जाता है तथा विषुवत् वृत्त के दक्षिण स्थित सभी समानांतर रेखाओं को ‘दक्षिणी अक्षांश’ कहा जाता है।

• उल्लेखनीय है कि अक्षांशों को अंशों में मापा जाता है तथा दो अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी लगभग 111 किमी. होती है।

उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से जोड़ने वाली संदर्भ रेखाओं को ‘देशांतरीय याम्योत्तर’ (रेखाएँ) कहते हैं।

  • किसी भी स्थान की सही स्थिति बताने के लिये अक्षांश के अलावा यह जानना आवश्यक होगा कि उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव को जोड़ने वाली देशांतरीय याम्योत्तर से पूर्व या पश्चिम की ओर इन स्थानों की दूरी कितनी है।
  •  याम्योत्तरों के बीच की दूरी विषुवत् वृत्त पर अधिकतम (111.3 किमी.) तथा ध्रुवों पर न्यूनतम (0 किमी.) होती है।

• देशांतरीय याम्योत्तरों की लंबाई एक समान होने के कारण इन्हें सिर्फ मुख्य संख्याओं में व्यक्त करना कठिन था। तब सभी देशों ने निश्चय किया कि ग्रीनविच, जहाँ ब्रिटिश राजकीय वेधशाला स्थित है, से गुजरने वाली याम्योत्तर से पूर्व और पश्चिम की ओर गिनती शुरू की जाए। इस याम्योत्तर की ‘प्रमुख याम्योत्तर’ कहते हैं तथा इसका मान 0° देशांतर है। अर्थात् यह स्थान मानक समय निर्धारित करने का आधार बना। यहाँ से हम 180° पूर्व या 180° पश्चिम तक गणना करते हैं।

• प्रमुख याम्योत्तर तथा 180° याम्योत्तर मिलकर पृथ्वी को दो समान भागों- पूर्वी गोलार्द्ध एवं पश्चिमी गोलार्द्ध में विभक्त करती हैं। इसलिये किसी स्थान के देशांतर के आगे पूर्व के लिये अक्षर पू. तथा पश्चिम के लिये अक्षर प. का उपयोग करते हैं।

• 180° पूर्व और 180° पश्चिम याम्योत्तर एक ही रेखा पर स्थित तथा 180° देशांतर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International Date Line) के नाम से जाना जाता है। 

• पृथ्वी अपने काल्पनिक अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है। अतः वे स्थान जो ग्रीनविच के पूर्व में हैं, उनका समय ग्रीनविच से आगे होगा तथा जो पश्चिम में हैं, उनका समय पीछे होगा।

(Q) पृथ्वी को अपने अक्ष पर 1° घूमने में कितना समय लगता है?

Ans.-

पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में 360° घूमती है।      
       24 घंटे = 360°      
   1 घंटा 360/24 =15°    
   1 घंटा में 60 मिनट होते हैं।
   15° घूमने में समय लगता है 60 मिनट   1° घूमने में समय लगता है।
60/15 =4 मिनट   
अतः पृथ्वी को 1° घूमने में 4 मिनट लगते हैं।

(Q) यदि कोई स्थान ग्रीनविच से 20° पूर्व में स्थित है तब ग्रीनविच “और उस स्थान के समय में कितना अंतर होगा?

Ans.- 

1° देशांतर = 4 मिनट
 20° देशांतर = 20 x 4 = 80 मिनट = 1 घंटा 20मिनट
अर्थात् अगर ग्रीनविच में दोपहर के 12 बजे होंगे तब उस स्थान पर दोपहर के 1 बजकर 20 मिनट रहे होंगे।
  • भारत में गुजरात के द्वारका तथा असम के डिब्रूगढ़ के स्थानीय समय में लगभग 1 घंटा 45 मिनट का अंतर होता है। इसलिये यह | आवश्यक था कि देश के मध्य भाग से होकर गुजरने वाली किसी याम्योत्तर के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाए।
  • भारत में 82° पूर्व (82°30′ पू.) को मानक याम्योत्तर माना गया है. जो उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर (कुछ स्रोतों में इसे इलाहाबाद के ‘नैनी’ को भी बताया गया है) से होकर गुज़रती है।
  • भारत का मानक समय याम्योत्तर ग्रीनविच के 82°30° पू. में स्थित है। अतः यहाँ का समय ग्रीनविच के समय से 5 घंटा 30 मिनट आगे है। इसलिये जब लंदन में दोपहर के 2 बजे होंगे तब भारत में शाम के 7:30 बजे होंगे।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter –3 पृथ्वी की गतियाँ

  • पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है और लगभग 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है, इसे ‘घूर्णन’ कहते हैं।
  •  सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को ‘परिक्रमण’ कहते हैं। इस परिक्रमा को पूरा करने में लगभग 365 दिन, 6 घंटे लगते हैं।
  • पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार गोले के समान है, इसलिये एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही रोशनी प्राप्त होती है। ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है, उसे ‘प्रदीप्ति वृत्त’ कहते हैं।
  • सामान्यतः एक वर्ष को गर्मी, सर्दी, बसंत एवं शरद ऋतुओं में बाँटा जाता है। ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।
  • 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की तरफ झुका होता है, जिससे सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। उत्तरी ध्रुव सूर्य की तरफ झुका होता है तथा उत्तरी ध्रुव रेखा के बाद वाले भागों पर लगभग 6 महीनों तक लगातार दिन रहता है।
  •  उत्तरी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है, इसलिये विषुवत् वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है। एवं दक्षिणी भाग में सर्दी का मौसम  पृथ्वी की इस अवस्था को ‘उत्तर अयनांत’ कहते हैं।

दक्षिण अयनांत के संदर्भ में

  • 22 दिसंबर को दक्षिणी ध्रुव के सूर्य की ओर झुके होने के कारण मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। चूँकि सूर्य की किरणें मकर रेखा पर लंबवत पड़ती हैं. इसलिये दक्षिणी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में प्रकाश प्राप्त होता है। इसलिये दक्षिणी गोलार्द्ध में लंबे दिन तथा छोटी रातों वाली ग्रीष्म ऋतु होती है। पृथ्वी की इस अवस्था को ‘दक्षिण अयनांत’ कहा जाता है।
  •  उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्म ऋतु में ही क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।

विषुव के संदर्भ में

  • 21 मार्च एवं 23 सितंबर को सूर्य की किरणें विषुवत् वृत्त पर सीधी पड़ती हैं। इसे ‘विषुव’ कहा जाता है।
  • 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में वसंत ऋतु होती है। 21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है।

• पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 365 दिन, 6 घंटे लगते हैं। सुविधा के लिये हम वर्ष में 365 दिन गिनते हैं। और 6 घंटे का समय छोड़ देते हैं। इस प्रकार 4 वर्षों में 24 घंटे अर्थात् 1 दिन का अंतर हो जाता है। इस अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। इस प्रकार हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है और इसे ‘लीप वर्ष’ कहते हैं।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter –4 मानचित्र

• पृथ्वी की प्राकृतिक आकृतियों, जैसे- पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों इत्यादि को दर्शाने वाले मानचित्र को ‘भौतिक या उच्चावच मानचित्र’ कहा जाता है।

• राज्यों, नगरों, शहरों तथा गाँवों और विश्व के विभिन्न देशों व राज्यों तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र को ‘राजनीतिक मान्चित्र’ कहा जाता है।

• कुछ मानचित्र हमें विशेष जानकारियाँ प्रदान करते हैं, जैसे- सड़क मानचित्र, वर्षा मानचित्र, रेलवे मानचित्र, वन तथा उद्योगों आदि के वितरण दर्शाने वाले मानचित्र इत्यादि। इस प्रकार के मानचित्र को ‘थिमैटिक मानचित्र’ कहते हैं। 

  • मानचित्र में चार मुख्य दिशाओं-उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम को ‘प्रधान दिग्बिंदु’ कहा जाता है। बीच की चार दिशाएँ- उत्तर-पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम हैं। इन बीच वाली दिशाओं की मदद से किसी भी स्थान की सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
  • मानचित्र के तीन घटक होते हैं- दिशा, दूरी और प्रतीक। प्रतीक मानचित्र का तीसरा प्रमुख घटक है। प्रतीकों के इस्तेमाल के द्वारा मानचित्र को आसानी से खींचा जा सकता है तथा इनका अध्ययन करना आसान होता है।
  • मानचित्रों की एक विश्वव्यापी भाषा होती है। प्रतीकों के उपयोग के संबंध में एक अंतर्राष्ट्रीय सहमति है। इन्हें ‘रूढ प्रतीक’ कहा जाता है। किसी भी मानचित्र पर वास्तविक आकार एवं प्रकार में विभिन्न आकृतियों, जैसे- भवनों, सड़कों, पुलों, वृक्षों, रेल की पटरियों या कुएँ को दिखाना संभव नहीं होता है। इसलिये वे निश्चित अक्षरों, छायाओं, रंगों, चित्रों तथा रेखाओं का उपयोग करके दर्शाए जाते हैं। ये प्रतीक कम स्थान में अधिक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • रेखाचित्र मानचित्र के अंतर्गत कच्चे आरेख को बिना पैमाने की सहायता से खींचा जाता है, जो कि याददाश्त और स्थानीय प्रेक्षण पर आधारित होता है। एक छोटे क्षेत्र का बड़े पैमाने पर खींचा गया रेखाचित्र ‘खाका’ कहा जाता है।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter –5 पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल

  • पृथ्वी के बहुत बड़े भू-भाग पर जल पाया जाता है, जिसे ‘जलमंडल’ कहा जाता है। जलमंडल में जल की सभी अवस्थाएँ, जैसे- बर्फ, जल एवं जलवाष्प सम्मिलित हैं।
  • पृथ्वी का वह सीमित क्षेत्र जहाँ तीनों परिमंडल एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं. ‘जैवमंडल’ कहलाता है। इसी परिमंडल में सभी प्रकार के जीव पाये जाते हैं अतः यह सबसे महत्त्वपूर्ण है। पृथ्वी के ये तीनों परिमंडल आपस में पारस्परिक क्रिया करते हैं तथा एक-दूसरे को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।
  • स्थल की ऊँचाइयों को समुद्रतल से मापा जाता है। विश्व का सबसे ऊँचा शिखर माउंट एवरेस्ट है, जो समुद्रतल से 8848 मीटर ऊँचा है।
  •  दूसरा K., (गॉडविन ऑस्टिन) है, जो समुद्रतल से 8611 मीटर
  •  तीसरा कंचनजंगा है, जो समुद्रतल से 8556 मीटर ऊँचा है। ऊँचा है।
  • नोट: कुछ स्रोतों में माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8850 मीटर तथा कंचनजंगा की ऊँचाई 8598 मीटर मिलती है।
  • विश्व का सबसे गहरा भाग प्रशांत महासागर का मेरियाना गर्त है, जिसकी गहराई 11,022 मीटर है। कुछ स्रोतों में 11,033 मीटर भी मिलता है।
पृथ्वी के महाद्वीपों का आकार के अनुसार क्रम-
 एशिया- अफ्रीका > उत्तर अमेरिका > दक्षिण अमेरिका > अंटार्कटिका > यूरोप > ऑस्ट्रेलिया ।
  • यूरोप और एशिया एक ही भू-भाग के रूप में दिखाई पड़ते हैं, जो यूराल पर्वत और यूराल नदी के द्वारा एक-दूसरे से अलग होते हैं। पर व्यावहारिक रूप से यूरोप और एशिया को दो अलग महाद्वीप ही समझा जाता है। यूरोप एवं एशिया के संयुक्त भू-भाग को ‘यूरेशिया’ (यूरोप एशिया) कहा जाता है।
  • अफ्रीका, एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। यही एक ऐसा महाद्वीप है, जिससे होकर कर्क रेखा, मकर रेखा एवं विषुवत् वृत्त गुज़रती हैं। विषुवत् वृत्त या 0° अक्षांश इस महाद्वीप के लगभग मध्य भाग से होकर गुज़रती है।
  • मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप में बनाई गई स्वेज नहर विश्व की सबसे बड़ी कृत्रिम नहर है। यह नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है तथा एशिया महाद्वीप को अफ्रीका महाद्वीप से अलग करती है। 
  •  1869 में इस नहर को जहाज़ों के आवागमन के लिये खोल दिया गया,जिसके कारण यूरोप और एशिया के बीच की दूरी काफी कम हो गई।
  • उत्तर अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका महाद्वीप पनामा देश की | पूर्वी सीमा में एक सँकरे स्थल से जुड़े हैं, जिसे ‘पनामा स्थलसंधि’ कहा जाता है तथा यह स्थलसंधि अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से अलग करती है।

दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के संदर्भ में

  • दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पूर्व में अटलांटिक महासागर है तथा पश्चिम में प्रशांत महासागर है। इस महाद्वीप का अधिकांश भाग दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है।
  • विश्व की सबसे लंबी पर्वतश्रृंखला एंडीज़ इसके उत्तर से लेकर दक्षिण की ओर फैली है।
  • इस महाद्वीप में विश्व की सबसे बड़ी नदी अमेजन बहती है।
  • ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप को ‘द्वीपीय महाद्वीप’ कहा जाता है। यह चारों तरफ से महासागरों तथा समुद्रों से घिरा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे छोटा महाद्वीप है, जो कि पूरी तरह से दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है।
  • अंटार्कटिका एक बहुत बड़ा महाद्वीप है, जो कि दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। दक्षिणी ध्रुव इस महाद्वीप के मध्य में स्थित है। 
  • यह दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में स्थित है, इसलिये यह हमेशा मोटी बर्फ की परतों से ढका रहता है। इसलिये यहाँ स्थायी मानव निवास नहीं है। 
  • बहुत से देशों के शोध केंद्र यहाँ स्थित हैं। भारत के भी शोध संस्थान यहाँ हैं। इनके नाम हैं- दक्षिण गंगोत्री, मैत्री तथा भारती।
  • विशाल जलाशय जो महाद्वीपों के द्वारा एक-दूसरे से अलग हैं. ‘महासागर’ कहलाते हैं। आकार की दृष्टि से उनका क्रम है- प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, दक्षिणी महासागर तथा आर्कटिक महासागर।
  • प्रशांत महासागर सबसे बड़ा महासागर है। पृथ्वी का सबसे गहरा भाग मेरियाना गर्त प्रशांत महासागर में ही स्थित है।
  • अटलांटिक महासागर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। अटलांटिक महासागर की तट रेखा बहुत अधिक दंतुरित (कटी-फटी) है। यह अनियमित एवं दंतुरित तट रेखा प्राकृतिक पोताश्रयों एवं पत्तनों के लिये आदर्श स्थिति है। व्यापार की दृष्टि से यह सबसे व्यस्त महासागर है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड वायु का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो। रही है। इसे ‘भूमंडलीय तापन’ कहा जाता है।
  • प्रशांत महासागर लगभग वृत्ताकार है। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका इसके चारों ओर स्थित है। 
  • अटलांटिक महासागर अंग्रेजी वर्णमाला के ‘S’ अक्षर के आकार का है। 
  •  हिंद महासागर ही एक ऐसा सागर है, जिसका नाम किसी देश के नाम पर, यानी भारत के नाम पर रखा गया है। यह महासागर लगभग त्रिभुजाकार है। इसके उत्तर एशिया, पश्चिम में अफ्रीका तथा पूर्व में ऑस्ट्रेलिया स्थित है।
  •  आर्कटिक महासागर उत्तरी ध्रुव वृत्त (66½° उ.) में स्थित है तथा यह उत्तरी ध्रुव के चारों ओर फैला है।
  • वायुमंडल को उसके घटकों, तापमान तथा अन्य आधार पर पाँच परतों में बाँटा गया है। इन परतों को पृथ्वी की सतह से शुरू करते हुए क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, आयनमंडल तथा बहिमंडल कहा जाता है।
  •  आधुनिकतम वैज्ञानिक उपकरणों (रेडियोसॉण्डे, रविसॉण्डे, रडार, उपग्रह, रॉकेट, सेंसर आदि) की सहायता से प्रभावी वायुमंडल की ऊँचाई का 16 से 29 हजार किमी. तक का अध्ययन किया गया है किंतु सागर तल से 800 किमी. ऊँचाई तक का वायुमंडल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
  • वायुमंडल में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 21 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा । प्रतिशत अन्य सभी गैसें हैं।
  • वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन गैस सभी प्रकार के जीवधारियों की वृद्धि में सहायक होती है। ऑक्सीजन साँस लेने के लिये आवश्यक है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड यद्यपि बहुत कम मात्रा में है, लेकिन यह पृथ्वी के द्वारा छोड़ी गई उष्मा को अवशोषित करती है, जिससे पृथ्वी गर्म रहती है। यह पौधों की वृद्धि के लिये भी आवश्यक है।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter – 6 पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप

  • विभिन्न प्रकार के स्थलरूपों का निर्माण दो प्रक्रियाओं से होता 
  •  प्रथम या आंतरिक प्रक्रिया के कारण बहुत से स्थानों पर पृथ्वी की है-सतह कहीं ऊपर उठ जाती है तो कहीं धँस जाती है। 
  •  दूसरी या बाह्य प्रक्रिया स्थल के लगातार बनने या टूटने की प्रक्रिया है।
  • पृथ्वी की सतह के टूटकर घिस जाने को ‘अपरदन’ कहते हैं।
  •  अपरदन की क्रिया के द्वारा सतह नीची हो जाती है तथा निक्षेपण की प्रक्रिया के द्वारा इनका फिर से निर्माण होता है। ये दोनों प्रक्रियाएँ बहते हुए जल, वायु तथा बर्फ के द्वारा होती हैं।
  • भारत की अरावली पर्वत श्रृंखला विश्व की सबसे पुरानी वलित पर्वत श्रृंखला हैं। अपरदन की प्रक्रिया के कारण यह शृंखला घिस गई। है। उत्तर अमेरिका के अप्लेशियन तथा रूस के यूराल पर्वत गोलाकार दिखाई देते हैं एवं इनकी ऊँचाई कम है। ये बहुत पुराने वलित पर्वत हैं। भारत का हिमालय भी वलित पर्वत का उदाहरण है।
  • कुछ पर्वतों पर हमेशा जमी रहने वाली बर्फ की नदियाँ होती हैं, उन्हें ‘हिमानी’ कहा जाता है। कुछ ऐसे भी पर्वत हैं, जो समुद्र के भीतर हैं, जिन्हें हम नहीं देख सकते।
  •  पर्वत एक रेखा क्रम में भी व्यवस्थित हो सकते हैं, जिसे श्रृंखला कहा जाता हैं। बहुत से पर्वतीय तंत्र समानांतर श्रृंखलाओं के क्रम में होते हैं, जैसे- हिमालय, आल्प्स तथा एंडीज पर्वत श्रृंखलाएँ।
  • जिन पर्वतों की सतह ऊबड़-खाबड़ तथा शिखर शंक्वाकार होते हैं, उन्हें ‘वलित पर्वत’ कहते हैं। हिमालय तथा आल्प्स वलित पर्वत के उदाहरण हैं।
  • उत्तर अमेरिका का अप्लेशियन तथा रूस का यूराल पर्वत गोलाकार दिखाई देते हैं तथा इनकी ऊँचाई बहुत कम है। ये वलित पर्वत हैं। जब कोई बहुत बड़ा भाग टूट जाता है तथा ऊर्ध्वाधर बहुत पुराने रूप से विस्थापित हो जाता है तब भ्रंशोत्थ पर्वतों का निर्माण होता है। ऊपर उठे हुए खंड को उत्खंड (हॉर्स्ट) तथा नीचे धँसे हुए खंडों को ‘द्रोणिका ‘भ्रंश’ (ग्राबेन) कहा जाता है। यूरोप की राइन घाटी तथा बॉसजेस पर्वत इसी तरह के पर्वत तंत्र के उदाहरण हैं।
  • अफ्रीका का माउंट किलिमंजारो तथा जापान का फ्यूजीयामा पर्वत ज्वालामुखी पर्वत के उदाहरण हैं। ज्वालामुखी पर्वतों का निर्माण ज्वालामुखी प्रक्रियाओं के कारण होता है।
  • प्रशांत महासागर में स्थित मौना कीआ पर्वत (Mauna Kea) (हवाई द्वीप) सागर की सतह के नीचे स्थित है। इसकी ऊँचाई (10,205 मीटर) माउंट एवरेस्ट से भी अधिक है।
  • तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊँचा पठार है, जिसकी ऊँचाई माध्य समुद्रतल से 4000 से 6000 मीटर तक है। पठार आस-पास के क्षेत्रों से अधिक उठा हुआ होता है तथा इसका ऊपरी भाग मेज के समान सपाट होता है।
  • पठारों की ऊँचाई प्रायः कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है। पर्वतों की तरह पठार भी नए या पुराने हो सकते हैं। भारत में दक्कन का पठार पुराने पठारों में से एक है।
  • केन्या, तंजानिया तथा युगांडा का पूर्वी अफ्रीकी पठार एवं ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार इस प्रकार के उदाहरण हैं।
  • अफ्रीका का पठार सोना एवं हीरों के खनन के लिये प्रसिद्ध है। भारत में छोटानागपुर के पठार में लोहा, कोयला तथा मैंगनीज के बहुत बड़े भंडार पाये जाते हैं।

मैदानों के संदर्भ में

  • मैदान समतल भूमि के बहुत बड़े भाग होते हैं। वे सामान्यतः माध्य समुद्री तल से 200 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं होते हैं।
  •  अधिकांश मैदान मुख्य नदियों तथा उनकी सहायक नदियों के द्वारा बने हैं। नदियाँ पर्वतों के ढालों पर नीचे की ओर बहती हैं तथा उन्हें अपरदित कर देती हैं। वे अपरदित पदार्थों को अपने साथ आगे की ओर ले जाती हैं। अपने साथ ढोए जाने वाले पदार्थों, जैसे- बालू तथा सिल्ट को वे घाटियों में निक्षेपित कर देती हैं। इन्हीं निक्षेपों से मैदानों का निर्माण होता है।
  •  सामान्यतः मैदान अधिक उपजाऊ होते हैं तथा यहाँ आवास एवं परिवहन के साधनों का निर्माण करना आसान होता है। इसलिये मैदान विश्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले भाग होते हैं।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter –7 हमारा देश : भारत

  • भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि का विस्तार 8°4′ उ. तथा 37°6′ उ. अक्षांशों के बीच है।
  • पश्चिम से लेकर पूर्व तक भारत का विस्तार 68°7′ पू. तथा 97°25′ पू. देशांतरों के बीच है।
  • कर्क रेखा देश के लगभग मध्य भाग से होकर गुज़रती है। यह रेखा भारत के 8 राज्यों से होकर गुज़रती है, जो इस प्रकार हैं- गुजरात राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिज़ोरम।
  • भारत देश की स्थलीय सीमा 7 देशों के साथ जुड़ी हुई है। ये देश हैं- चीन नेपाल, भूटान, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ।
  • भारत की सबसे लंबी स्थलीय सीमा बांग्लादेश के साथ लगती है।
  • सिक्किम एवं त्रिपुरा तीन तरफ से दूसरे देशों के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं। सिक्किम- नेपाल, भूटान एवं चीन से तीन तरफ से घिरा है जबकि त्रिपुरा, बांग्लादेश से तीन तरफ से घिरा है।

लद्दाख (केंद्रशासित प्रदेश): पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान

• उत्तराखंड: नेपाल और चीन

• सिक्किमः नेपाल, भूटान और चीन

• अरुणाचल प्रदेश: चीन, भूटान और म्यांमार • असमः भूटान और बांग्लादेश

• पश्चिम बंगाल: बांग्लादेश, भूटान और नेपाल

• मिजोरम: बांग्लादेश और म्यांमार

  • नर्मदा नदी के उत्तर में विंध्य पर्वत श्रेणी है तथा दक्षिण में सतपुड़ा पर्वत श्रेणी है अर्थात् नर्मदा नदी विंध्य और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के बीच बहती है।
  • तापी नदी के अलावा नर्मदा भी पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती हुई खंभात की खाड़ी में गिरती है तथा अजंता एवं सतमाला पर्वत तायी नदी के दक्षिण में अवस्थित हैं।
  • उत्तर में बर्फ से ढका हिमालय हमारे देश के लिये संतरी का कार्य करता है। हिम + आलय का मतलब होता है – बर्फ का घर।
  • हिमालय पर्वत को तीन मुख्य समानांतर श्रृंखलाओं में बाँटा जाता है। सबसे उत्तर में स्थित श्रृंखला को ‘वृहद् हिमालय’ या ‘हिमाद्रि’ कहते हैं। मध्य हिमालय या हिमाचल, हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित है। शिवालिक सबसे दक्षिण में स्थित श्रृंखला है।
  • महानदी, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी; ये सभी पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। ये नदियाँ अपने मुहाने पर उपजाऊ डेल्टा का निर्माण करती हैं।
  • गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियाँ विश्व के सबसे बड़े डेल्टा का निर्माण करती है, जिसे ‘सुंदरवन डेल्टा’ कहा जाता है। इस डेल्टा की आकृति त्रिभुजाकार है।
  •  ‘डेल्टा’ स्थल का वह भाग होता है जो नदी के मुहाने पर बनता है। “जहाँ नदियाँ समुद्र में प्रवेश करती हैं, उस जगह को ‘नदी का मुहाना’ कहा जाता है।
  • भारत में दो द्वीप समूह हैं- अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप। लक्षद्वीप द्वीपसमूह अरब सागर में स्थित है। ये केरल के तट से कुछ दूर स्थित प्रवाल द्वीप है। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, भारत के दक्षिण-पूर्व  दिशा में बंगाल की खाड़ी में स्थित है।

UPSC NCERT Class 6th Geography Notes Chapter – 8 भारत : जलवायु, वनस्पति तथा वन्य प्राणी

  • मानसून’ शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ से लिया गया है. जिसका अर्थ होता है- मौसम मौसम वायुमंडल में दिन-प्रतिदिन होने वाला परिवर्तन है तथा किसी स्थान पर अनेक वर्षों (30-35 वर्ष) में मापी गई मौसम की औसत दशा को ‘जलवायु’ कहते हैं।
  • शरद् ऋतु के समय पवन स्थल भागों से लौटकर बंगाल की खाड़ी की ओर बहती है। यह मानसून के लौटने का मौसम होता है। भारत के दक्षिणी भाग विशेषकर तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश के क्षेत्र में इस मौसम में वर्षा होती है।
  • भारत की जलवायु को ‘मानसूनी जलवायु’ कहा जाता है, क्योंकि भारत की स्थिति उष्णकटिबंध में होने के कारण अधिकतर वर्षा मानसूनी पवन से होती है।
  • किसी स्थान की जलवायु उसकी स्थिति, ऊँचाई, समुद्र से दूरी तथा उच्चावच पर निर्भर करती है। इसलिये हमें भारत की जलवायु में क्षेत्रीय भिन्नता का अनुभव होता है।
  • विश्व में सबसे अधिक वर्षा मेघालय में स्थित मॉसिनराम में होती है।
  •  उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं, जहाँ वर्षा | बहुत अधिक होती है। ये इतने घने होते हैं कि सूर्य का प्रकाश जमीन तक नहीं पहुँच पाता है। ये वन वर्ष के अलग-अलग समय पर अपनी पत्तियाँ गिराते हैं। फलतः वे हमेशा हरे-भरे दिखाई देते हैं। इसलिये इन्हें ‘सदाबहार वन’ भी कहा जाता है।
  •  भारत में ये वन अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, उत्तर-पूर्वी राज्यों के कुछ भागों तथा पश्चिमी घाट की सँकरी पट्टी में पाये जाते हैं।
  • हमारे देश के बहुत बड़े भाग में उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन पाये जाते हैं। इन वनों को ‘मानसूनी वन’ भी कहा जाता है। ये कम घने। होते हैं और वर्ष के एक निश्चित समय में अपनी पत्तियाँ गिराते हैं।
  • कँटीली झाड़ियों वाली वनस्पतियाँ -शुष्क भागों में पाई जाती हैं। पानी की क्षति को कम करने के लिये इनकी पत्तियों में बड़े-बड़े काँटे होते हैं। पर्वतों में ऊँचाई के अनुसार वनस्पतियों के विभिन्न प्रकार पाये जाते हैं, क्योंकि ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में कमी आती है।

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनः रोजवुड, महोगनी, आबनूस आदि।

  •  उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वनः पीपल, नीम, शीशम, सागौन, साल आदि। 
  •  कँटीली झाड़ियाँ: खैर, बबूल, कैक्टस, कीकर आदि। 
  •  पर्वतीय वनस्पतिः पाइन, देवदार, चीड़ आदि ।

मैंग्रोव वन के संदर्भ में

  • मैंग्रोव वन खारे पानी में भी रह सकते हैं। ये मुख्यतः पश्चिम बंगाल के सुंदरबन तथा अंडमान एवं निकोबार के द्वीपसमूहों में पाये जाते हैं। सुंदरी इस प्रकार के वनों की महत्त्वपूर्ण प्रजाति है। इस प्रजाति के नाम पर इस क्षेत्र का नाम सुंदरबन पड़ा।
  • प्रत्येक वर्ष अक्तूबर के पहले सप्ताह को वन्यजीव सप्ताह के रूप में मनाया जाता है, ताकि वन्य जीवों के निवास को संरक्षित रखने के लिये जागरूकता लाई जा सके।
  • जंगली बकरी, हिम तेंदुआ आदि हिमालयी क्षेत्र में पाये जाते हैं।
  • भारत में जंगली गधे कच्छ के रन में पाये जाते हैं।

ALSO READ – UPSC Ncert Class 7th Geography Notes Hindi

ALSO READ – UPSC Ncert Class 8th Geography Notes Hindi

(Q)  विषुव (Equinox) को सम्पूर्ण विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं, ये तिथियाँ कौन सी है?

ANS.- 21 मार्च और 23 सितंबर

(Q) वर्ष भर रात और दिन किस स्थान पर बराबर होते हैं?

ANS.- भूमध्य रेखा (Equator) पर

(Q) कर्क संक्रांति के समय उत्तरी गोलार्द्ध के किस स्थान पर 12 घंटे का दिन होगा?

ANS.- विषुवत रेखा पर

(Q) उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) में वर्ष का सबसे छोटा दिन किस तिथि को होता है?

ANS.- 22 दिसंबर

(Q) उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन किस तिथि को होता है?

ANS.- 21 जून

  1. 1.सौरमंडल में पृथ्वी
  2. 2. ग्लोब : अक्षांश एवं देशांतर
  3. 3. पृथ्वी की गतियाँ
  4. 4. मानचित्र
  5. 5. पृथ्वी के प्रमुख परिमंडल
  6. 6. पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप
  7. 7. हमारा देश : भारत
  8. 8. भारत : जलवायु, वनस्पति तथा वन्य प्राणी

Leave a Reply